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Tuesday 4 October 2016

बजरंग बाण in Faltu Bazaar

मूल पाठ 

"दोहा "


निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥



'चौपाई'
जय हनुमन्त सन्त हितकारी, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।
जन के काज विलम्ब न कीजै, आतुर दौरि महा सुख दीजै।
 जैसे कूदि सिन्धु महिपारा, सुरसा बदन पैठि विस्तारा ।
आगे जाय लंकिनी रोका, मारेहु लात गई सुरलोका ।
 जाय विभीषन को सुख दीन्हा, सीता निरखि परमपद लीन्हा ।
 बाग उजारि सिन्धु महं बोरा, अति आतुर जमकातर तोरा ।
 अक्षय कुमार को मारि संहारा, लूम लपेट लंक को जारा ।
 लाह समान लंक जरि गई, जय जय धुनि सुरपुर में भई । 
अब विलम्ब केहि कारन स्वामी, कृपा करहु उर अन्तर्यामी ।
 जय जय लखन प्राण के दाता, आतुर होय दु:ख करहु निपाता । 
जै गिरिधर जै जै सुख सागर, सुर समूह समरथ भटनागर ।
 ॐ हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले, बैरिहि मारू बज्र की कीले ।
 गदा बज्र लै बैरिहिं मारो, महाराज प्रभु दास उबारो ।
 ॐ कार हुंकार महाप्रभु धावो, बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ।
 ॐ ह्रिं ह्रिं ह्रिं हनुमन्त कपीसा, ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा 
। सत्य होहु हरि शपथ पायके, राम दूत धरु मारु जाय के । 
जय जय जय हनुमन्त अगाधा, दु:ख पावत जन केहि अपराधा ।
 पूजा जप तप नेम अचारा, नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ।
 वन उपवन मग गिरि गृह माहीं, तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।
 पांय परौं कर जोरि मनावौं, येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।
 जय अंजनि कुमार बलवन्ता, शंकर सुवन वीर हनुमन्ता ।
 बदन कराल काल कुल घालक, राम सहाय सदा प्रतिपालक ।
 भूत, प्रेत, पिशाच निशाचर, अग्नि बेताल काल मारी मर ।
 इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की, राखउ नाथ मरजाद नाम की ।
 जनकसुता हरि दास कहावो, ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।
 जै जै जै धुनि होत अकासा, सुमिरत होत दुसह दु:ख नाशा ।
 चरन शरण कर जोरि मनावौं, यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।
 उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई, पांय परौं कर जोरि मनाई ।
 ॐ चं चं चं चं चपल चलंता, ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ।
 ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल, ॐ सं सं सहमि पराने खल दल ।
 अपने जन को तुरत उबारो, सुमिरत होय आनंद हमारो ।
 यह बजरंग बाण जेहि मारै, ताहि कहो फिर कौन उबारै । 
पाठ करै बजरंग बाण की, हनुमत रक्षा करै प्राण की ।
 यह बजरंग बाण जो जापै, ताते भूत-प्रेत सब कांपै ।
 धूप देय अरु जपै हमेशा, ताके तन नहिं रहै कलेशा ।


"दोहा"

प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।
 तेहि के कारज तुरत ही, सिद्ध करैं हनुमान॥



प्रेम से बोलो जय हनुमान 

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